डॉ विभा जैन
कुछ समय पहले तक सड़े हुए दाँतों को निकालना और उनकी जगह नक़ली दाँत लगवाना हमारे देश में डेंटिस्ट के पास जाने के मुख्य कारण हुआ करते थे। इस इलाज के साथ साथ इससे जुड़े कई मिथ्य लम्बे समय से चलते आ रहे हैं। आज मैं दाँत निकालने और अक़्ल दाढ़ से जुड़ी इन मिथ्याओं के बारे में बात करूँगी।
अक़्ल दाढ़ दोनो जबड़ों के आख़िरी दाँत होते हैं। ये आमतौर पर 17 से 25 साल की उम्र में निकलते हैं। ये दाँत चबाने के काम नहीं आते, पर निकलते समय और निकलने के बाद भी काफ़ी तकलीफ़ दे सकते हैं।
दाँत निकालने के बारे में कई सवाल और ग़लतफ़हमियाँ लोगों में अक्सर रहती हैं। इसलिए, इससे पहले कि मैं अक़्ल दाढ़ के बारे में विस्तार से बात करूँ, कुछ तथ्य ज़रूरी हैं;
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दाँत निकालने से आसपास के दाँत ढीले नहीं होते।
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दाँत निकालने से नज़र कमज़ोर नहीं पड़ती
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अक़्ल दाढ़ निकालने से अक़्ल कमज़ोर नहीं होती।
अक़्ल दाढ़ के बारे में कुछ चीज़ें जिनका ध्यान रखना ज़रूरी है
दर्द और सूजन
जब अक़्ल दाढ़ का मामला हो, तो बारबार होने वाले दर्द और सूजन को गंभीरता से लेना चाहिए। ऐसे में दर्द कम करने की दवा या पेनकिलर लेने के बजाय डेंटिस्ट के पास जाएँ। दर्द की मदद से शरीर समस्या की तरफ़ इशारा करता है। पेनकिलर दर्द को सिर्फ़ दबाने का काम करती हैं, जिससे असली समस्या सुलझने के बजाय बढ़ जाती है।
टेढ़े दाँत
कई लोगों के जबड़ों में अक़्ल दाढ़ के लिए पर्याप्त जगह नहीं बचती, जिसकी वजह से ये दाँत टेढ़े निकलते हैं। ऐसी स्थिति में डेंटिस्ट इन दाँतो को निकालने की सलाह देते हैं। इन दाँतों को निकलवाने में देरी नहीं करनी चाहिए, क्यूँकि उम्र के साथ इन्हें निकालना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्यूँकि दाँत के आसपास की हड्डी उम्र के साथ सख़्त हो जाती है और आसानी से दाँत को निकलने नहीं देती। उम्र जितनी कम हो घाव उतनी ही जल्दी भर भी जाता है और परेशानी कम होती है।
मसूड़े का दाँत को ढकना
पेरिकोरोनाइटिस एक ऐसी समस्या है, जिसमें मसूड़े आधी निकली हुई अक़्ल दाढ़ के ऊपर रह जाते हैं। इसकी वजह से मसूड़े और दाँत के बीच की जगह में खाना इकट्ठा हो जाता है, जिससे उस जगह पे इन्फ़ेक्शन, दर्द, सूजन के अलावा मुँह खोलने में तकलीफ़ होती हैं। खाना खाने पर ये दर्द बढ़ जाता है।
अगर पेरिकोरोनाइटिस हो जाए, तो डेंटिस्ट उस जगह को डिसिन्फ़ेक्टंट से साफ़ करते हैं, और दर्द कम करने के लिए उचित दवा देते हैं। अगर ये तकलीफ़ बारबार होने लगे, तो इसका मतलब ये हो सकता है कि अक़्ल दाढ़ के निकलने के लिए जबड़ों में जगह नहीं है। ऐसे में इन्फ़ेक्शन को फैलने से बचाने के लिए इन दाँतों को जल्द से जल्द निकालना उचित होता है।
खाना फँसना
कई बार अक़्ल दाढ़ के साथ के दाँत की सीध में नहीं निकलते। इससे दोनो दाँतों के बीच में खाना फ़सने लगता है, और इनमे से एक या दोनो दाँत सड़ सकते हैं। अगर सड़न दाँत की नसों तक पहुँच जाए, तो दर्द शुरू हो जाता है।
अक़्ल दाढ़ के साथ वाला दाँत खाना चबाने के लिए बहुत ही ज़रूरी होता है। इस दाँत को बचाने के लिए सड़े दाँतों को समय से ठीक करना और कई बार अक़्ल दाढ़ को निकालना ज़रूरी होता है। इलाज में देरी होने से तकलीफ़ तो बढ़ती ही है, इलाज भी मुश्किल और खर्चीला हो जाता है।
अगर आपके डेंटिस्ट को लगता है कि आपकी अक़्ल दाढ़ के निकलने में कोई परेशानी नहीं होगी, तो इसे ना छेड़ना ही बेहतर है। पर अगर ऊपर लिखी कोई भी समस्या आपकी अक़्ल दाढ़ में होने लगे, तो तुरंत इलाज कराएँ। इस दाँत को ब्रश से साफ़ रखना और इसमें हो रही तकलीफ़ों को ख़ुद देख पाना बहुत मुश्किल है। इस विषय में जागरूकता और सही समय से किया इलाज ख़र्चे और परेशानी से बचाता है।
Maine nikalwaayi h all daad lekin ab doosri dentist keh rahi h ki chaaro ek Saath nikalti ab pata nhi kya ho Gaya h mere jabde k niche ek knot ban giye h bahut tight h or Pura gala suuj Gaya h give me some suggestion
Hi Aarti, so sorry ki aisa hua aapke saath.. bina jaanch kiye advice dena mushkil hai. Agar aisa sobara ho to dentist ke paas jaayein. Jabde mein sujan ke kai kaaran ho sakte hain- kisi saath wale daant mein infection ki wajah se bhi jabda sooj sakta hai.
Sahi diagnosis ke liye dentist se check-up karana zaroori hai.