Mouth Health

क्या दांतों की स्केलिंग जरूरी है?

 

डॉ विभा जैन

डेंटिस्ट के पास पहली बार लोग आमतौर पर युवावस्था या उसके भी बाद जाते हैं। दांतों की देखभाल के लिये दिन में एक बार (खास मौकों पे दो बार) ब्रश होता है, और दर्द में लौंग के तेल  की शीशी ढूंढ़ी जाती है। डेंटिस्ट के पास जाने की नौबत तभी आती है जब दर्द सहनशक्ति से ज्यादा हो जाता है।

भारत में दांतों की जांच से बचने की आदत नई नहीं है। मेरे बचपन के दिनों में सालाना डेंटिस्ट के पास जाने के बारे में किसी ने नहीं सुना था। दांतों की तकलीफ के लिये घरेलू नुस्खे इस्तेमाल होते थे। और डेंटिस्ट से मदद तभी ली जाती थी जब वो नुस्खे बेकार हो जाते थे। नकली दांत बुढ़ापे की निशानी थी।

समय के साथ हमारे देश में दंत चिकित्सा में बढ़ौतरी तो हुई है, पर मुंह के स्वास्थ्य की जानकारी लोगों में कम है। कई पढ़े लिखे लोग मुझसे दंत चिकित्सा के बारे में हैरान करने वाले सवाल करते हैं।दंत चिकित्सा के बारे में बहुत से मिथ्य लोगों के मन में रहते हैं। इन धारणाओं के बारे में मैं एक- एक करके बात करूंगी।

दांतों की ज्यादातर बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके लिये दांतों को साफ रखना बहुत जरूरी है। इसीलिए आज हम स्केलिंग के बारे में बात करेंगे।

 

स्केलिंग क्यों जरूरी है?

हम अपने दांत ब्रश या दूसरे तरीकों से साफ तो करते हैं, पर ये चीजें भी कई जगह पहुँच नहीं सकतीं। स्केलिंग की मदद से दांतों के चारों तरफ  जमा हुई सख्त गंदगी को हटाया जाता है। ये गंदगी  समय के साथ दांतो पर मसूड़ों और हड्डी की पकड़ को कमजोर कर देती है।

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क्या स्केलिंग से दांत कमजोर हो जाते हैं?

स्केलिंग से दांत कमजोर नहीं होते, और ना ही घिसते हैं। ये एक दर्द रहित इलाज है, जिसे साल में एक या दो बार कराना चाहिए। मसूड़े और हड्डी दांतों पर पकड़ बनाते हैं, और इन्हें साफ रखकर दांतों को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।

स्केलिंग के अन्य फायदे

मुंह की सेहत शरीर के स्वास्थ्य का प्रतिबिंब होती है। रीसर्च में  पाया गया है कि दांतों को पकड़ने वाले मसूड़ों व हड्डी की सेहत से ह्रदय रोग, डायबीटीज़, मोटापा, और गर्भावस्था समस्याएँ जुड़ीं हैं।

नियमित स्केलिंग से डेंटिस्ट आपके मुंह की गौर से जांच कर पाता है।  चूंकि ज्यादातर शारीरिक बीमारियों के लक्षण  मुंह में दिखते हैं, इसीलिए उन बीमारियों को समय से पकड़ने का मौका मिलता है। समय से बीमारी पकड़ के शारीरिक व मानसिक तकलीफ और खर्चे से बचा जा सकता है।

एक स्वच्छ मुंह से दुर्गंध नहीं आती और आत्मविश्वास बढ़ता है। इस आत्मविश्वास से निजी और कामकाजी जीवन में मदद मिलती है।

मुंह से दुर्गंध, मसूड़ों से खून, दांतों में सनसनाहट, और खाने का फंसना स्वास्थ्य समस्या के संकेत हैं। इनका इलाज समय से ना होने से अनावश्यक खर्चा व तकलीफ होती है। बीमारियों का सबसे अच्छा और सस्ता समाधान उनसे बचना है। इसीलिए समय पर स्केलिंग और जांच कराना जरूरी है।

स्केलिंग कैसे की जाती है, यह इस वीडियो में आप विस्तार से देख सकते हैं।

विभा जैन एक जनरल डेंटिस्ट हैं, और जमशेदपुर में सालों की प्रैक्टिस का अनुभव रखती हैं। उनका मानना है कि मुंह के स्वास्थ्य के बारे में गलत धारणाओं को हटाना देश की सेहत के लिए जरूरी है।

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